
777 चार्लि
धर्मा एकाकी और नकारात्मक जीवनशैली में फंसा हुआ आदमी है, जो हर दिन अपनी तन्हाई के सुकून में जीता है। उसकी दिनचर्या में किसी भी तरह की उमंग या उम्मीद नहीं बची होती, और वह बाहरी दुनिया से खुद को अलग कर चुका है। तभी उसकी जिंदगी में चार्ली नाम का एक नटखट और ऊर्जा से भरा बच्चा कुत्ता आ जाता है, जो धर्मा के शांत और जड़ व्यक्तित्व के बिल्कुल विपरीत होता है।
चार्ली की शरारतें और उत्साह धर्मा की बंद हुई दुनिया में हलचल पैदा कर देते हैं। छोटी-छोटी घटनाओं से लेकर मजेदार मुश्किलों तक, चार्ली उसे घर से बाहर खींचता है और लोगों और घटनाओं के साथ फिर से जुड़ने पर मजबूर करता है। इस प्रक्रिया में दोनों के बीच एक गहरी दोस्ती पनपती है, जो हँसी, आंसू और अनगिनत यादगार पलों से भरी होती है।
धीरे-धीरे धर्मा में बदलाव आता है: उसके अंदर आशा, जिम्मेदारी और दूसरों के प्रति संवेदना जाग उठती है। चार्ली केवल एक साथी नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी को नया अर्थ देने वाला साथी बन जाता है, जो उसे जीवन के छोटे-छोटे सुखों को फिर से पहचानना सिखाता है। यह कहानी इंसान और जानवर के बीच के अनमोल बंधन, सहानुभूति और आत्म-खोज की खूबसूरत तसवीर पेश करती है।
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