Factory Girl
1960 के दशक के न्यूयॉर्क की चमक-धमक के बीच फैली यह कहानी एडि सेडगविक नाम की एक युवा सोशलाइट के उत्थान और पतन को बयाँ करती है। धनी और मशहूर समाज की बेटी के रूप में वह जल्दी ही आर्ट सर्कल की नजरों में आ जाती है और पॉप आर्ट के उभरते आइकन एंडी वॉरहोल के फ़ैक्टरी में उसकी एंट्री होती है। वहाँ उसकी अलग पहचान बनती है और वह वॉरहोल की प्रेरणा बनकर रातोंरात प्रसिद्धि की सीढ़ियाँ चढ़ती है।
बाहरी चमक के बावजूद एडि के अंदर धीरे-धीरे एक खालीपन उभरता है; वह वॉरहोल से जिस तरह का प्यार चाहती है वह उससे नहीं मिल पाता। इसी खामोशी और असुरक्षा के बीच उसका एक करिश्माई संगीतकार के साथ रिश्ता बनता है, जो उसे अपनी अजादी और पहचान तलाशने के लिए प्रेरित करता है। उस रिश्ते के चलते वह फ़ैक्टरी और उस परिवेश से अलग होने की कोशिश करती है, पर उससे जुड़ी जटिलताएँ और आत्म-खोज के संघर्ष और गहरे होते चले जाते हैं।
फिल्म में प्रसिद्धि, पहचान और आत्म-विनाश के जटिल मेल को नाजुकता से दिखाया गया है। 1960 के दशक की ट्रेंडी मगर विघटनकारी दुनिया के बीच एक संवेदनशील आत्मा कैसे खोकर और तलाश कर जाती है, यह कहानी उसी दर्द और आकर्षण का दर्पण है। नतीजतन यह एक ऐसे युग की जीवंत, खूबसूरत परंतु दुखी तस्वीर पेश करती है जहाँ चमक के पीछे अक्सर अधूरापन और तन्हाई छुपी रहती है।
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