
छावा
उथल-पुथल और विश्वासघात के दौर में, यह फिल्म सम्मान, बलिदान और सत्ता की अथक खोज की एक रोमांचक कहानी बयां करती है। जब मराठों और मुगलों के बीच संघर्ष की आग भड़कती है, तो छत्रपति शिवाजी के वीर पुत्र संभाजी, औरंगजेब के अत्याचार के खिलाफ आशा की एक किरण के रूप में उभरते हैं। खून से सनी युद्धभूमि और छाया में छिपे विश्वासघात की फुसफुसाहट के बीच, दोनों पक्षों के लिए दांव पहले से कहीं अधिक ऊंचा है।
संभाजी का अडिग संकल्प और अदम्य साहस उस जटिल राजनीति और युद्ध के जाल में उनकी परीक्षा लेगा, जहां उन्हें अपने पिता की विरासत और अपने लोगों के भविष्य को सुरक्षित करना है। क्या वह असंभव लगने वाली चुनौतियों के सामने विजयी होंगे, या इतिहास की लहरें उनके सपनों को रेत के पैरों के निशान की तरह बहा ले जाएंगी? यह फिल्म एक महाकाव्य यात्रा का वादा करती है, जो दिल दहला देने वाले एक्शन, मार्मिक ड्रामा और एक ऐसी जिजीविषा की कहानी से भरी है, जो युगों-युगों तक गूंजती रहेगी।