Ce que le jour doit à la nuit
1930 के दशक की अल्जीरिया की धूप-छाँव में बसा यह इलेक्ट्रिक उपन्यासिक नाटक एक छोटे गाँव में छह-नौ साल के एक बच्चे युनस की आँखों से शुरू होता है, जिसे उसके चाचा के संरक्षण में ओरान भेज दिया जाता है। नया नाम — जोनास — और रियो सलादो के युवा मंडल में चैन से पलने की कोशिश उसकी पहचान की पहली परीक्षा बन जाती है। वहाँ की गलियाँ, समुद्र की लहरें और दोस्तों की शरारतें उसकी दुनिया का हिस्सा बनते हैं, पर परछाइयों में kolonial सत्ता और सांप्रदायिक दूरियाँ भी काम करती रहती हैं।
जोनीयस के जीवन में एमिली का प्रवेश एक शांत, लेकिन अटूट आकर्षण लेकर आता है। एमिली सिर्फ किशोरों की टोली की प्रिय नहीं, बल्कि जोनास के लिए प्रेम का अनिवार्य केंद्र बन जाती है। उनकी दोस्ती और फिर भावनात्मक जुड़ाव धीरे-धीरे एक खूबसूरत प्रेमकथा में बदलता है — मासूमियत, ईमानदारी और तीव्रतम वफादारी की एक जुबांती कहानी जो दोनों के चरित्रों को परखती है।
लेकिन देश के बदलते राजनीतिक हालात और सांस्कृतिक टकरावों की लकीरें इस प्रेम पर गहरा असर डालती हैं। व्यक्तिगत पहचान, वफादारी और अस्तित्व की चुनौतियाँ जोनास और एमिली के रिश्ते को बार-बार कसौटी पर रखती हैं—कभी वफादारी की कसमें, कभी सामाजिक दबाव, और कभी विद्रोह की आग। इस सबके बीच जोनास को यह समझना होता है कि उसका दिल, उसकी राष्ट्रीयता और उसका अतीत किस तरह उसके भविष्य को प्रभावित करेंगे।
फिल्म एक विस्तृत, मर्मस्पर्शी काव्यात्मक यात्रा है जो प्रेम और इतिहास के बीच के जटिल रिश्ते को उजागर करती है। यह किरदारों के भीतर की लड़ाइयों और बाहरी संघर्षों को बड़े परदे पर संवेदनात्मक तरीके से प्रस्तुत करती है, जहाँ बचपन की मासूमियत पुरानी यादों में खो जाती है और वयस्कता की कड़वी सच्चाइयाँ सामने आती हैं।
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