एक मेहनती पत्रकार जो कुख्यात सीरियल किलर फिन्स्टर के बारे में लेख लिखता रहा है, शहर की हलचल और खतरों से उबार पाने के लिए एक शांत छोटे गाँव की ओर चला जाता है। वहाँ वह सोचेता है कि अतीत की खबरें और भय अब दूर रहेंगे, पर जल्द ही उसे एहसास होता है कि शांति सिर्फ एक भ्रम थी। रोजमर्रा की गूँज में भी कहीं-न-कहीं हिंसा की परछाइयाँ मौजूद रहती हैं और उसका सामना करना अपरिहार्य बन जाता है।
फिल्म में ऊबे हुए नाटक और सस्पेंस का संगम है, जहाँ पत्रकार और फिन्स्टर के बीच की मानसिक जंग धीरे-धीरे सीमा पार कर जाती है। यह कहानी सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि मानवीय सीमाओं, मानवता के टूटने और सत्य की खोज की है, जो दर्शक को अंत तक बांधे रखती है।