Fatherland
एक वैकल्पिक इतिहास की पृष्ठभूमि में स्थापित यह फिल्म दिखाती है कि अगर हिटलर ने युद्ध जीत लिया होता तो कैसा संसार बनता। फिल्म 1960 के दशक की जर्मनी में घटित होती है, जहाँ नाज़ियों के अत्याचारों के सबूत गुप्त रखे गए हैं और हिटलर अमेरिका के राष्ट्रपति से शांति की बात करने की तैयारी कर रहा है। शहरी परिदृश्य में राजनैतिक चमक-दमक और सरकारी गुप्तहाने का माहौल कई परतों में खुलता है।
कहानी का केंद्र एक जर्मन हत्याकांड जाँच अधिकारी और एक अमेरिकी पत्रकार के अप्रत्याशित गठजोड़ पर है। दोनों लोग व्यक्तिगत जिज्ञासा और नैतिक दायित्व के चलते एक ऐसे षड्यंत्र के निशान पर चल पड़ते हैं जिसका मकसद नरसंहार के सबूतों को जड़ से मिटा देना है। उनकी खोज धीरे-धीरे बड़े राजनीतिक वर्गों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से जुड़ी गहरी साजिश तक पहुंचती है।
जैसे-जैसे सबूत उघड़ते हैं, खतरों की सीमा बढ़ती जाती है—घुसपैठ, धमकियाँ और सत्ता की बुनियाद पर चोट। फिल्म में न केवल एक थ्रिलर की तेजी है बल्कि सत्य की कीमत और इतिहास से आँखें चुराने के नैतिक सवाल भी उभरते हैं। संवादों और मोहरों के पीछे पुरानी हत्याओं की छायाएँ लगातार बने रहती हैं।
कुल मिलाकर यह फिल्म राजनीति, रहस्य और मानवीय संघर्ष का संगम है जो दर्शक को सोचने पर मजबूर कर देता है कि सत्ता के झूले पर असलियत कैसे दफ़न हो सकती है। दृश्य और क्लाइमेक्स दोनों ही कड़े और प्रभावशाली हैं, जिससे यह सिर्फ एक साज़िश-उन्मुख फ़िल्म नहीं बल्कि इतिहास और जिम्मेदारी पर गंभीर टिप्पणी बन जाती है।
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