केट एकान्त, नियत जीवन जीती है—पर उसकी दुनिया तब उलट जाती है जब उसकी बेटी अचानक उसके दरवाजे पर आती है, डर से कांपती और किसी और के खून से सनी हुई। यह आगमन सिर्फ भय ही नहीं लाता, बल्कि पुराने रिश्तों और छिपे हुए किस्सों की दीवारों पर दरारें भी डाल देता है। फिल्म की शुरुआत में दिखने वाला ग्रामीण सन्नाटे और रोजमर्रा की साधारणियत जल्दी ही खौफनाक अनिश्चितता में बदल जाती है।
केट सच की तह तक पहुँचने की कोशिश में धीरे-धीरे हकीकत के उन पहलुओं से रूबरू होती है जिनमें धोखा, अपराधिकता और मातृ प्रेम के कड़े विकल्प मौजूद हैं। कहानी बताती है कि किसी माँ के लिए अपनी बेटी को बचाना कभी-कभी भावनात्मक और नैतिक सीमाओं को चुनौती दे देता है—और यह सवाल उठता है कि सही और गलत की परिभाषा कितनी लचीली हो सकती है। भावनात्मक तनाव, सस्पेंस और तेज़ घटते घटनाक्रम के साथ यह फिल्म दर्शकों को लगातार घुमाव देते हुए एक तीव्र अंत की ओर ले जाती है।