Sketch Artist
पुलिस के लिए काम करने वाला एक स्केच आर्टिस्ट अचानक अपने जीवन की सबसे भयंकर खोज के सामने आता है जब एक गवाह की याद से जो चित्र उभरता है, वह उसके घरवाले के चेहरे से मेल खाता है। वह तस्वीर देखकर विरोधाभास में पड़ जाता है — एक तरफ पेशेवर कर्तव्य है जो सच्चाई खोजने को कहता है, दूसरी तरफ घर और परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। जब पता चलता है कि संदिग्ध वही व्यक्ति था जिसे गवाह ने हत्या के स्थान से जाते देखा था, तो उसकी दुनिया हिल उठती है।
संदेह और प्यार के बीच फंसा वह आर्टिस्ट सहज मानकर नहीं बैठता; वह जानबूझकर फोटो को बदल देता है ताकि उसमें उसकी पत्नी की पहचान न उभर आए। यह कदम उसे कानूनी और नैतिक दुविधाओं में धकेल देता है, लेकिन वह किसी तरह यह मानने को तैयार नहीं कि उसकी पत्नी इस जघन्य अपराध से जुड़ी हो सकती है। अपने साथी पुलिस वालों की तरह नहीं, वह अपने तरीके से साक्ष्य इकट्ठा करने और सच्चाई तक पहुँचने की ठान लेता है।
धीरे-धीरे यह जांच व्यक्तिगत हो जाती है और हर कदम पर जोखिम बढ़ते जाते हैं — झूठ, छिपे हुए सच और खतरनाक संकेत सामने आते हैं। फिल्म दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति की आशा और इनकार उसे ऐसे रास्तों पर ले जा सकता है जहाँ कानून, नैतिकता और प्यार की सीमाएँ धुंधली हो जाती हैं। कहानी में तनाव, संदेह और भावनात्मक द्वंद्व की ऐसी परतें हैं जो अंत तक दर्शक को बांधे रखती हैं।
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