एम्मा, एक साहसी फ्रांसीसी उपन्यासकार, बर्लिन के एक रहस्यमय वेश्यालय की दुनिया में उतरती है, जहाँ वह छिपे हुए सच को उजागर करने की कोशिश करती है। उसका यह सफर शुरू में तो उसके नए उपन्यास के लिए शोध के रूप में शुरू होता है, लेकिन जल्द ही यह एक आत्म-खोज और धुंधली हुई सीमाओं की दिलचस्प कहानी में बदल जाता है। जैसे-जैसे एम्मा एक वेश्या के रूप में अपनी भूमिका में गहराई से उतरती है, वास्तविकता और कल्पना के बीच की रेखाएँ धुंधली होने लगती हैं, और उसके असली इरादों पर सवाल खड़े होते हैं।
इस कहानी में आपको एक ऐसा नाटकीय सफर देखने को मिलेगा, जहाँ एम्मा का किताब के लिए सामग्री जुटाने का साधारण सा मकसद दो साल के एक अप्रत्याशित और रहस्यमय अनुभव में बदल जाता है। यह कहानी इच्छाओं, पहचान और कला की खोज में व्यक्ति द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की जटिलताओं को उजागर करती है। क्या एम्मा इस असामान्य प्रयोग से बिना किसी नुकसान के बाहर निकल पाएगी, या फिर इस घर की छायाएँ उसे हमेशा के लिए बदल देंगी?