यह भावनात्मक-कॉमेडी वास्तविक घटनाओं पर आधारित है और लेखक-साहित्यिक पिनबॉल विशेषज्ञ रॉजर शार्प की कोशिशों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है जब उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में पिनबॉल पर चल रहे 35 साल पुराने प्रतिबंध को चुनौती दी। फिल्म में उस युग की सामाजिक और कानूनी परिस्थितियों के साथ-साथ शार्प के व्यक्तिगत जुनून और पिनबॉल के प्रति उनकी निष्ठा को बारीकी से दिखाया गया है, जिससे कहानी में नाटकीयता और हास्य दोनों का समन्वय बनता है।
कहानी का केंद्र बिंदु कोर्टरूम के सामने का वह साहसिक पल है जब शार्प अपनी कला का प्रदर्शन कर दिखाते हैं कि पिनबॉल जुआ नहीं बल्कि कौशल और रणनीति है। प्रदर्शन, निर्देशन और पटकथा मिलकर एक प्रेरणादायक और दिल छूने वाली फिल्म बनाते हैं जो खेल, स्वतंत्रता और इंसानी जज्बे का उत्सव मनाती है।