तिब्बती पठार की ऊँची, कटीली और निर्मल वादियों में एक दुर्लभ दुनिया छिपी है जहाँ हिम तेंदुए जैसे अनमोल जीवों की मौजूदगी सब कुछ बदल देती है। फ़िल्म में प्रतिष्ठित प्रकृति फ़ोटोग्राफ़र विंसेंट मुनियर और लेखक सिल्वेन टेसाँ मिलकर वर्षों तक धैर्य और सौम्यता के साथ इस परग्रही प्राणी की खोज में निकलते हैं। घने ठंड, न्यूनतम साधनों और शांत निगरानी के बीच कैमरा और शब्द दोनों ही उस भयावह सौन्दर्य को कैद करने का प्रयास करते हैं, जहाँ हर प्रकाश-किरण और सन्नाटा एक कहानी कहता है।
दृश्यों की शांति, सूक्ष्म ध्वनियाँ और विंसेंट की lente के जरिए दिखा गया प्रकृति का विशाल पैमाना फिल्म को एक ध्यानमग्न अनुभव बनाता है। यह केवल शिकार या रोमांच की कहानी नहीं बल्कि वन्यजीवों के प्रति सम्मान, मानवीय एकांत और प्रकृति की नाजुकता पर एक मौन चिंतन है; कुछ क्षण भव्य झलकियाँ देते हैं तो कुछ मौन हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि पृथ्वी पर बची ये अंतहीन जगहें कितनी अनमोल हैं।