अठारहवीं सदी की शुरुआत में कार्पेथियन पहाड़ों में विदेशी शासन की स्याही छाई है और हुट्सुल समुदाय के लिए ज़िन्दगी कठिन होती जा रही है। दो भाइयों का साहस उन्हें ओप्रिशकोस—पहाड़ी आउटलों—में बदल देता है, जो दबे-कुचले लोगों की रक्षा और अत्याचारियों के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बनते हैं। फिल्म ग्रामीण लोककथाओं, बग़ावत और वक्त की बुराइयों के बीच मानवीय रिश्तों की पड़ताल करती है, जहां प्रकृति की विशालता और किसानों की जुझारूपन को बड़े परदे पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
परन्तु संघर्ष जल्द ही अंदरूनी दरारों में बदल जाता है: भाईयों के बीच वैर, ग़लतफ़हमी और सत्ता की लालसा की वजह से दोस्ती विद्वेष में बदल जाती है। यह कहानी केवल ऐतिहासिक विद्रोह नहीं, बल्कि वफादारी, बदला और मानवीय कमजोरियों का एक भावुक चित्र है, जिसमें तंबाकू के धुएँ सी धुंधली यादें, नाटकीय लड़ाइयाँ और लोकसंगीत की झलकें दर्शकों को बांधे रखती हैं।