यह फिल्म ईसाई प्रचार-प्रसार की उन धाराओं पर कटु दृष्टि डालती है जो मसीह की क्रूस पर मृत्यु के शॉकिंग संदेश को नरम कर करती हैं। आधुनिक अमेरिकी सभ्यता में कई वक्ता और प्रवक्ता खुशगवार, समृद्धि और आत्म-संतुष्टि के संदेश को प्राथमिकता देते हैं, जबकि फिल्म तर्क देती है कि सच्चा सुसमाचार—मसीह का क्रूस—बहुत ही चुनौतीपूर्ण और अपमानजनक रहा है। डॉक्युमेंट्री में बाइबिलिक शिक्षाओं, ऐतिहासिक संदर्भों और आध्यात्मिक परंपराओं का उपयोग करके यह दिखाया जाता है कि कैसे पाप, दण्ड और बीसवीं सदी के आराम के बीच टकराव चर्च में समूचे संदेश को बदल देता है।
American Gospel: Christ Crucified कई पादरियों, शिक्षाविदों और स्कॉलर-इंटरव्यू द्वारा यह स्पष्ट करता है कि शास्त्रीय मसीही सिद्धांत—परित्याग, प्रतिपूर्ति और पाप के परिणाम—को उपेक्षित करने से धार्मिक अनुभव का स्वरूप कैसे बदल जाता है। फिल्म दर्शकों को चुनौती देती है कि वे सतही सांत्वना और व्यावहारिक धर्म के पहुँच से बाहर जाकर क्रूस की तीव्रता और परमेश्वर के चरित्र के उस पहलू का सामना करें जिसे अक्सर नरम कर दिया जाता है, ताकि वास्तविक पश्चाताप और विश्वास की जरूरत को समझा जा सके।