यह फिल्म रूसी निर्देशक एंड्रेई तारकोव्स्की के व्यक्तिगत शब्दों और यादों के माध्यम से उनके जीवन और कला की यात्रा को शांत, चिंतनशील अंदाज़ में प्रस्तुत करती है। अपने इंटरव्यू, डायरी उद्धरण और पुरानी झलकियों के सहारे यह फिल्म उनके फिल्म निर्माण के दर्शन, धार्मिक और दार्शनिक विचारों, तथा कलाकार के भाग्य पर उनकी अंतर्दृष्टि को सामने लाती है।
दृश्यों और व्यक्तिगत स्मृतियों का संयोजन दर्शकों को तारकोव्स्की की आन्तरिक दुनिया में ले जाता है, जहाँ सिनेमा एक प्रार्थना और अस्तित्व की खोज बनकर उभरता है। यह एक धीमी, परंतु गहन मननात्मक फिल्म है जो कलाकार की अकेली यात्रा, निर्वासन और मानवीय अर्थ की तलाश को शान्त परन्तु प्रबल तरीके से उकेरती है।