तीनों पीढ़ियों की महिलाओं की कहानियाँ आपस में जुड़ती हैं, और उनकी ज़िन्दगियाँ व गलतफहमियाँ पुरुषों के साथ बने रिश्तों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। फिल्म छोटे-छोटे पल और तीव्र भावनात्मक संघर्षों के जरिए दिखाती है कि कैसे प्रेम, आशा और बेवफाई की घटनाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी असर छोड़ती हैं। हर महिला अपनी जगह पर प्यार और आत्मसम्मान के बीच संतुलन तलाशती दिखती है, जबकि रिश्तों की परतें धीरे-धीरे खुलती हैं।
कहानी का टोन संवेदनशील और सूक्ष्म है, जो अंतर-व्यक्तिगत गतिशीलताओं और सामाजिक मान्यताओं पर सवाल उठाती है। संवाद और दृश्यों के माध्यम से फिल्म यह दर्शाती है कि गलतफहमियाँ सिर्फ टूटने नहीं देतीं, बल्कि समझ और मजबूती की नई राह भी खोलती हैं। अंततः यह एक ऐसा नज़ारा पेश करती है जहाँ महिलाएँ अपनी आवाज़ और पहचान फिर से स्थापित करने की कोशिश करती हैं।