यह डॉक्यूमेंट्री अमेरिका में हर साल लॉन्च होने वाली आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और उपकरणों के भव्य वाग्वाद के परे जाकर उन मरीजों की कहानियाँ बताती है जिन्हें इन्हीं उपकरणों ने नुक्सान पहुँचाया। फिल्म दिखाती है कि कैसे जीवन बचाने के दावे वाले कुछ उपकरणों ने गंभीर शारीरिक और भावनात्मक प्रभाव छोड़े, और कैसे कंपनियों और नियामक संस्थाओं के बीच की जटिलता ने जिम्मेदारी तय करना मुश्किल बना दिया।
कई व्यक्तिगत अनुभवों, एसोशिएटेड शोधों और अन्वेषणों के माध्यम से फिल्म इस प्रश्न को उजागर करती है कि जब इलाज ही नुकसान पहुंचाए तो जवाबदेही किसकी होगी। यह सिर्फ समस्याएँ दिखाने तक सीमित नहीं रहती बल्कि पारदर्शिता, दायरों और रोगियों के सुरक्षा अधिकारों के लिए बदलाव की आवश्यकता पर जोर देती है, जिससे दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि किसे और कैसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।