यह फिल्म उन अनकहे नायकों—साइडमेन—की कहानी उजागर करती है, जो ऐतिहासिक रिकॉर्डों के पीछे खड़े होकर कुछ महानतम कलाकारों की धुनों को जीवंत करते रहे। कैमरा उनके भाड़े के संगीतकारों के निजी संघर्षों, स्टूडियो की शामों और मंच पर छिपे हुए क्रिएटिव विस्फोटों के पास जाकर उनके योगदान को मानवीय और भावनात्मक रूप में प्रस्तुत करता है।
पुरालेखीय फुटेज, साक्षात्कार और प्रदर्शन से बुना यह चित्रण दिखाता है कि कैसे ये भूले-बिसरे म्यूज़िशियन संगीत इतिहास की दिशा बदलने में अहम रहे—भले ही उनका नाम शो-लाइट्स में न रहा हो। यह फिल्म उस अनदेखी प्रतिभा को वापस मंच पर लाती है और याद दिलाती है कि संगीत के सबसे बड़े पल अक्सर उन कलाकारों की साझेदारी और आत्मसमर्पण का नतीजा होते हैं जिनकी कहानी अकसर अनसुनी रह जाती है।