
28 панфиловцев
1941 की सर्दियों में, एक वीरता और संघर्ष की कहानी सामने आती है। यूएसएसआर पर युद्ध की ठंडी हवाएं चल रही हैं, और जनरल इवान पैनफिलोव अपने छोटे लेकिन जांबाज सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व करते हैं। नाज़ी टैंकों के मास्को की ओर बढ़ते हमले के सामने, ये अट्ठाईस जवान अपनी मातृभूमि के प्रति अटूट निष्ठा और दृढ़ संकल्प के साथ खड़े होते हैं। उनकी वीरता और बलिदान की यह गाथा इतिहास के पन्नों में अमर हो जाती है।
पत्रकार वासिली कोरोटीव की वास्तविक घटना पर आधारित यह कहानी, असंभव लगने वाली परिस्थितियों में भी साहस की मिसाल पेश करती है। मोसिन-नागंत राइफल्स और अपने अदम्य साहस के सहारे, पैनफिलोव के ये जवान युद्ध के नियमों को चुनौती देते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। इन सैनिकों की अद्भुत बहादुरी और अडिग भावना उस समय की सबसे अंधेरी घड़ी में उम्मीद की किरण बनकर खड़ी होती है। यह कहानी भाईचारे, बलिदान और मानवीय इच्छाशक्ति की अजेय शक्ति का प्रतीक है।