ब्राज़ीलियाई पिता अपनी बेटी के अर्जेंटीनाई ससुराल वालों से तब मिलता है जब वे सभी बारिलोचे की सैर पर जाते हैं, और वहीं से शुरू होती है एक चुलबुली, सांस्कृतिक टकराव भरी दहाड़। पितृत्व का गर्व, देशी अहम और हँसी-मज़ाक के तेज पल एक-दूसरे से भिड़ते हैं, जबकि दोनों परिवार एक-दूसरे को साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनकी परंपराएँ, खाना और अंदाज़ सबसे बेहतरीन हैं।
बारिलोचे की खूबसूरत वादियाँ और बर्फ से ढके पहाड़ इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्विता के मंच बनते हैं, जहाँ छोटी-छोटी प्रतियोगिताएँ और नाटक अंततः नज़दीकियाँ बढ़ा देते हैं। हल्की-फुल्की तनातनी, दिल छू लेने वाले पलों और पारिवारिक जुड़ाव के साथ यह फिल्म दिखाती है कि कैसे विरोधाभास भी अंत में हँसी और समझ में बदल जाते हैं।