एक जवान सैनिक अपनी गुमशुदा पत्नी की तलाश में एक उच्च‑प्रौद्योगिकी केंद्र में घुस जाता, यह मानते हुए कि वह मानव तस्करी के जाल में फँसी है। पर उस दीवार के दूसरी ओर उसे एक अजीब, भविष्यवादी फैंटेसी पार्क मिलता है जहाँ सच्चाई और भ्रांति इतनी बारीकी से उलझ जाती हैं कि हर कदम पर कुछ नया सवाल उठता है। चमकदार मंदल और आकर्षक दृश्यावली के बीच वास्तविकता की परतें छिलकर सामने आती हैं और दर्शक भी उसी उलझन में खिंच जाते हैं जो नायक को घेरती है।
जैसे‑जैसे वह इस सम्मोहक लेकिन खतरनाक दुनिया में आगे बढ़ता है, उसे एक चौंकाने वाली हकीकत का सामना करना पड़ता है जो उसे एक जानलेवा खेल की ओर धकेलती है जहाँ कुछ भी वैसा नहीं जैसा दिखता। फिल्म पहचान, भरोसे और शक्ति के पैंतरे की पड़ताल करती है, और यह दिखाती है कि कैसे प्रेम और हताशा इंसान को अँधेरे फैसलों तक ले जा सकती हैं। दृश्यात्मकता, सस्पेंस और नैतिक द्वंद्व मिलकर एक तनिक असहज परन्तु यादगार अनुभव बनाते हैं जो दर्शक को अंत तक बांधे रखता है।