यह फिल्म 1982 के उस मौसम की कहानी बयां करती है जब मिलवॉकी ब्रूअर्स ने जीत और हार के बीच एक भावनात्मक सफर तय किया — पिच पर शानदार क्षण, आखिरी ओवरों में मिली करारी हार और चैंपियनशिप के बेहद करीब पहुँचने की कड़वी यादें। खेल के उतार-चढ़ाव के साथ ही खिलाड़ियों की निजी जिंदगी, कोचिंग जद्दोजहद और मैदान के बाहर के छोटे-छोटे अखंड पलों को भी जीवंत किया गया है, जो दर्शकों को सीधे उस युग की दिल धड़कन में ले चलता है।
फिल्म उसी समय के आर्थिक और सामाजिक संदर्भ में मिलवॉकी शहर और उसकी मेहनती, साधारण जनता के बीच पनपे गहरे लगाव को उजागर करती है — एक ऐसी 40 साल पुरानी मोहब्बत जो शहर की कठिनाइयों में भी टीम पर गर्व बनाए रखती थी। पुरानी फुटेज, साक्षात्कार और स्थानीय कहानियों के ज़रिए यह दस्तावेज़ी न सिर्फ़ खेल का उत्सव है बल्कि एक समुदाय की आत्मा का उत्सव भी बनकर उभरती है, जो हार-जीत से कहीं ऊपर खड़ी है।