एक आत्मघाती अनुष्ठान से छूट गया एक बदतमीज़ असफल व्यक्ति अपने झूठे पूर्व-मेस्सिया के साथ मिलकर एक नए दुनियाऊ पंथ की शुरुआत करने निकल पड़ता है। वे मध्य अमेरिका की सड़कों पर सफर करते हुए लगातार तकरार करते हैं, हवा में विफलता और महानता के सपने दोनों बिखरे रहते हैं, और उनका लक्ष्य एक बार फिर से अपने डूम्सडे कम्यून को खड़ा करना होता है। यह यात्रा कटु हास्य, विडंबना और छोटे शहरों की अजीबियत से भरी हुई है।
रास्ते में वे एक सेना के सपनों वाला नौजवान, एक मानसिक रूप से अस्थिर माँ और एक रहस्यमयी विदेशी हिचहाइकर को अपने झुंड में शामिल कर लेते हैं। ये बहुरंगी किनारे-छूने वाले पात्र धीरे-धीरे एक अनपेक्षित परिवार बन जाते हैं, जहाँ हर किसी की पागलपन और आशाओं का मेल एक अजीबसी गर्माहट पैदा करता है। क्या यह बहुरूपिया परिवार अपनी आध्यात्मिक नियति पूरी करेगा या जीवन की छोटी-छोटी खुशियों पर लौट कर यह तय करेगा कि शायद जीना ही बेहतर है — यही फिल्म का कटु-मीठा सवाल है।