इस फिल्म में, वास्तविकता और सपने के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है जब ग्रेस अपने परिवार के खेत पर हो रही रहस्यमय घटनाओं से जूझती है। एक दुखद घटना के बाद, उसकी दुनिया अजीबोगरीब हालात से घिरने लगती है, जिससे उसका मानसिक संतुलन डगमगाने लगता है। तनाव भरे माहौल में एक रहस्यमय शख्स छायाओं में छिपा रहता है, और रात के अंधेरे में एक भूतिया औरत की डरावनी मौजूदगी ग्रेस को परेशान करती रहती है।
हर मोड़ पर, यह फिल्म अपने मुख्य किरदार की मनोदशा में गहरे उतरती है, दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सच है और क्या ग्रेस की कल्पना का खेल। जैसे-जैसे यह डरावनी मौजूदगी तेज होती है, फिल्म दर्शकों को एज-ऑफ-दी-सीट थ्रिल देती है, जहां वे यह समझने की कोशिश करते हैं कि ये दृश्य आने वाली किसी भयावह घटना के संकेत हैं या ग्रेस के टूटते दिमाग की उपज। एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर जो आपको देखे और अनदेखे के बीच के पतले पर्दे पर सवाल खड़े कर देगा।