टाटेयामा में एक नया गॉडज़िला प्रकट होता है और जापानी आत्मरक्षा बल की पायलट अकाने के जीवन में अचानक बल्लेबाज़ी आ जाती है। खतरे का मुकाबला करने के लिए पहले वाले गॉडज़िला के अवशेषों से एक अत्याधुनिक साइबोर्ग, किर्यु (मेकागॉडज़िला), तैयार किया जाता है, जिसे इंसानी नियंत्रण और सैन्य रणनीति के सहयोग से लड़ा जाता है। लेकिन जल्द ही पता चलता है कि इस मशीन में सिर्फ तकनीक नहीं बल्कि पहले वाले दानव की बेचैन आत्मा की झलक भी बसी हुई है, जिससे यंत्र और जीव के बीच एक भयावह द्वंद्व जन्म लेता है।
फिल्म न केवल महाकाय टकरावों और विनाश के दृश्यों को दिखाती है, बल्कि अकाने की आंतरिक जंग और खुद की अहमियत को पहचानने की यात्रा पर भी केंद्रित है। किर्यु में बसे पुराने गॉडज़िला की यादें और मानवीय भावनाओं का टकराव, युद्ध के नैतिक प्रश्न और पहचान की खोज को गहराई से उभारता है। परिणामी लड़ाइयाँ भयानक और भावनात्मक दोनों होती हैं, जिससे दर्शक को शक्ति, पीड़ा और उम्मीद का मिश्रण महसूस होता है।