विधवा माँ अपने बच्चों को धन्यवाद दिवस पर एक साथ लाकर परिवार को फिर से जोड़ने की कोशिश करती है, लेकिन पुराने घाव और छिपे हुए राज़ धीरे-धीरे उजागर होने लगते हैं। घर की गर्माहट के बीच बहस, टूटते रिश्ते और अनकहे सच परिवार की नींव पर सवाल खड़े कर देते हैं, जबकि हर सदस्य अपने दर्द और उम्मीदों के साथ संघर्ष कर रहा होता है।
फिल्म यह दिखाती है कि रिश्ते सरल नहीं होते — कभी प्यार, कभी तल्खी, फिर समझदारी और माफ़ी का दौर आता है। अंततः यह एहसास दिलाती है कि आप अपने परिवार को चुन नहीं सकते, पर जो आपके पास है उसके लिए कृतज्ञ रहना और साथ निभाना ही असली ताकत है।