एक अकेले कलाकार का शो जो हंसी और शर्मिंदगी के बीच जीवन की नाजुकता का एहसास कराता है। माइक बिरबिग्लिया अपनी रोज़मर्रा की चिंताओं, मेडिकल टेस्टों की घबराहट और मौत के सवालों को आत्मीयता और सूक्ष्म व्यंग्य के साथ पेश करते हैं, जिससे दर्शक हँसते-हँसते सोच में पड़ जाते हैं। उनकी आवाज़ में ईमानदारी और तड़क-भड़क की कमी इस अनुभव को और व्यक्तिगत बना देती है।
कहानी में एक अत्यधिक क्लोरीनयुक्त YMCA पूल और "प्रकृति के तकिए" जैसे अजीबो-गरीब तत्व भी जगह पाते हैं, जो आम जीवन की छोटी-छोटी असहजताओं को बड़े अर्थों में बदल देते हैं। यह प्रदर्शन हंसाने के साथ-साथ जीवन, उम्र और अमरता पर परावर्तन कराता है — हल्की-फुल्की कॉमेडी और सूक्ष्म दार्शनिकता का संतुलन जो दर्शक के दिल तक पहुँच जाता है।