दो परिवारों की ज़िंदगियाँ — एक मुंबई की झुग्गी में रहने वाला और दूसरा शहर के आलीशान हाई-राइज़ में — अचानक घटनाओं की एक श्रृंखला में आपस में जुड़ जाती हैं। रोज़मर्रा की परेशानियाँ, इच्छाएँ और एक-दूसरे से टकराती हुई दुनिया की विसंगतियाँ कहानी के ताने-बाने में बुनी जाती हैं; छोटे-छोटे सुख-दुख और मानवीय रिश्तों की नाज़ुकता को यह फिल्म बखूबी उजागर करती है।
फिल्म 'Visfot' (2024) में परिस्थितियों की चपेट एक भयानक विस्फोट में तब्दील होती है, जिसकी त्रासदी दोनों परिवारों की ज़िंदगियाँ हमेशा के लिए बदल देती है। शोक, गुस्सा और न्याय की तलाश के बीच यह फिल्म सामाजिक असमानता, मानवीय सहानुभूति और उम्मीद की ताकत पर तीखे सवाल उठाती है, साथ ही दर्द से उभरने और एक नए आरंभ की संभावना को भी दिखाती है।