एक पिता, अपनी पत्नी की मौत के बाद अपने बेटे के साथ नई शुरुआत की तलाश में है और अनजानी हिम्मत से उसने बिना देखे-सुने एक स्टोरेज यूनिट परिसर खरीद लिया। टूटे हुए रिश्तों और दु:ख के बीच यह कदम उम्मीद की एक किरण जैसा था, लेकिन धातु के ठोस दरवाज़ों के पीछे छिपी चीज़ें जल्द ही उन दोनों के जीवन को बदल देती हैं। छोटे-छोटे आइटम्स, धूल छुपे राज़ और भूल चुके अतीत के साए धीरे-धीरे एक ऐसे भय की ओर ले जाते हैं जिसे कोई तैयार नहीं था सहने के लिए।
जैसे-जैसे पर्दे उठते हैं, पिता और पुत्र के बीच की नाजुक दोस्ती, विश्वास और बचपन की यादें खतरे में पड़ती हैं। हर एक बंद पेटी एक नई उलझन और खतरे का संकेत बन जाती है — क्या ये केवल पुरानी चीज़ें हैं या उन के पीछे कुछ और गहरा और खतरनाक छिपा है? यह कहानी सिर्फ एक डरावनी खोज नहीं, बल्कि मातृत्व-पितृत्व की सीमाओं, पछतावे और रक्षा के उन फैसलों की भी पड़ताल करती है जो किसी भी माता-पिता के लिए सबसे बड़ी परीक्षा बन सकते हैं।