एक अमीर पिता अपनी वसीयत लिखता है और हर कुछ उसके बेटे "जॉली" को मिलने वाला है — पर सवाल यह उभरता है कि असली जॉली कौन है? पिता के जन्मदिन के जश्न के लिए एक क्रूज़ जहाज पर जमा होने वाले तमाम लोग खुद को असली जॉली बताकर हँसी-ठिठोली और उलझनों की ऐसी सलामी चढ़ा देते हैं कि पहचान, प्रेम और लालच की बारीकियों में सबकी शक्लें बदल जाती हैं। नाव पर होने वाला यह धमाकेदार मेला गलतफहमियों, फिसलनों और हल्के-फुल्के ड्रामे से भरा हुआ है, जहाँ हर मोड़ पर कोई नया पात्र किसी पुराने राज़ को उजागर कर देता है।
फिल्म में पारिवारिक भावनाओं के बीच भरपूर कॉमेडी, रोमांस और रंगीन गानों का तड़का है। नाटकीय उतार-चढ़ाव, चालाक ट्विस्ट और तमाम नकली-असल चेहरों के खेल के साथ कहानी यह दिखाती है कि अंत में सच, मोहब्बत और समझदारी ही सबसे मजबूत रहते हैं। हल्की-फुल्की मनोरंजन की तलाश में देखने वालों के लिए यह फिल्म एक फुल-पैक्ड मनोरंजक सफ़र साबित होती है।