नताली अपने नए कॉन्डो में बसते ही पड़ोसियों के बीच लगातार चल रही कटुता और झगड़ों से निराश हो जाती है और वे सबको जोड़ने का जिम्मा खुद उठा लेती है। छोटी-छोटी बातचीत, हास्यपूर्ण जुगाड़ और धैर्य के जरिए वह अलग-अलग किस्म के किरदारों के बीच सहकर, समझदारी और सम्मान की दीवारें बनाना चाहती है। फिल्म में रोज़मर्रा की तकरारों को हल्का और मानवीय अंदाज़ दिया गया है, जिससे शहर की अलगाव और अकेलेपन की भावनाएँ भी उभरकर आती हैं।
सबसे हैरान करने वाली दोस्त नताली की मदद में बिल्डिंग का सुपर बनता है, जो शुरुआत में किसी भी विवाद से दूर रहना पसंद करता है। धीरे-धीरे उसकी अनकही परवाह और व्यवहारिक बुद्धिमत्ता गाँव-सा अपनापन लौटाती है और वह न केवल नताली का सहारा बनता है बल्कि समुदाय को भी जोड़ने में अहम भूमिका निभाता है। यह फिल्म रिश्तों, समझौते और छोटी-छोटी सजगताओं के जरिए सामुदायिक गर्माहट लौटाने की एक दिल छू लेने वाली कहानी बताती है।