एक कुशल दर्जी गलती से एक नशे के सौदे के दौरान छोड़े गए ब्रीफकेस को उठा लेती है और अपने ही सिलन के धागों में उलझ जाती है। छोटे-छोटे नैतिक फैसलों, छुपी हुई योजनाओं और दबे हुए खतरों के बीच उसका जीवन धीरे-धीरे बदलता जाता है; पड़ोस की गली से लेकर अंडरवर्ल्ड तक की दुनिया उसके सामने खुलती है और हर क़दम पर भरोसा और धोखे का संतुलन बिगड़ता नजर आता है।
फिल्म एक बढ़ती बिल्ली-चूहे की दौड़ है जहाँ हर विकल्प नई कहानी खोल देता है — कुछ फैसलों से बच निकलने की उम्मीद जगती है तो कुछ फैसलों से अनपेक्षित तबाही। कसी हुई निर्देशन शैली, तेज़-तर्रार सस्पेंस और मानवीय जटिलताओं की परतें मिलकर दर्शक को हर मोड़ पर बेचैन रखती हैं, और यह दिखाती हैं कि एक साधारण चुंबन-सा निर्णय भी किस तरह जिन्दगी की सिलाई खोल सकता है।