लाखों लोगों के अचानक गायब हो जाने के बाद दुनिया अराजकता में डूब जाती है — शहर सुनसान हो जाते हैं, संस्थाएँ बिखर जाती हैं और बचे हुए लोग भय, शोक और अनिश्चितता के बीच जीने को मजबूर होते हैं। ऐसे समय में एक आकर्षक नेता उभरता है जो संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व संभालकर दुनिया को स्थिरता और आशा लौटाने का वादा करता है; उसके भाषणों में समाधान और एकता का वादा होता है, और लोग उसे अपना भरोसा सौंपने लगते हैं।
लेकिन जल्द ही उसके पीछे की सच्चाईें उजागर होती हैं: उसकी नीयतें ज्यों दिखती हैं वैसी नहीं, और वह भय का फायदा उठाकर अपनी शक्ति को घातक रूप से सुदृढ़ करता है। कुछ बचे हुए लोग और उनके नायक उसकी योजनाओं को बेनकाब करने और उस उभरते हुए दुष्टता के चेहरे से दुनिया को बचाने की जद्दोजहद करते हैं, क्योंकि असल युद्ध न केवल सत्ता के लिए बल्कि मानवता के भविष्य और मोक्ष के लिए लड़ा जा रहा है।