फ्रांसीसी लेखिका सिडोनी पर्सेवाल अपने दिवंगत पति के शोक में डूबी रहती हैं। अपने पहले पुस्तक के नए संस्करण के लिए जापान बुलाए जाने पर उन्हें स्थानीय संपादक गर्मजोशी से迎ात करता है और क्योटो के तीर्थस्थलों व मंदिरों की पवित्रता में ले जाता है। वसंत की खिले हुए फूलों के बीच यात्रा की धीमी लहरों में शहर का सौंदर्य और सांस्कृतिक नज़ाकत उनके भीतर बंद भावनाओं को छेड़ती है।
धीरे-धीरे सिडोनी अपने अतीत के बोझ को खोलती है और संपादक के साथ बातचीत में नए रिश्ते की संभावनाओं को महसूस करती है, पर उनके पीछे पति की याद एक नैरेटर-सा भूत बनकर रहती है। फिल्म संवेदनशील ढंग से शोक, स्मृति और फिर से प्यार करने के साहस की खोज करती है—जहाँ परंपरा और नयनाभिराम जापानी परिदृश्य भीतर की मरहम बनकर उभरते हैं और सिडोनी को छोड़कर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं।